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अहंकार एकमात्र जटिलता

अहंकार एकमात्र जटिलता है। जिन्हें सरल होना है, उन्हें इस सत्य का अनुभव करना होगा। उसकी अनुभूति होते ही सरलता वैसे ही आती है, जैसे कि हमारे पीछे हमारी छाया। एक संन्यासी का आगमन हुआ था। वे मुझे मिलने आये थे, तो कहते थे कि उन्होंने अपनी सब आवश्यकताएं कम कर ली हैं। और उन्हें और भी कम करने में लगे हैं। जब उन्होंने यह कहा, तो उनकी आंखों में उपलब्धि का- कुछ पाने का, कुछ होने का वही भाव देखा जो कि कुछ...
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प्रेम-पंथ-ऐसो-कठिन

प्रेम का मार्ग कैसे बन सकता है?प्रेम का मार्ग बनाने का एक ही अर्थ होता है कि प्रेम के नैसर्गिक प्रवाह में जो पत्थर डाल दिए गए हैं, वे हटा दो। प्रेम का मार्ग नहीं बनाना होता, सिर्फ बाधाएं हटानी होती हैं। जैसे कि दर्पण है, धूल जमी है। दर्पण नहीं बनाना है, सिर्फ धूल हटा देनी है। दर्पण तो है ही। जैसे पानी का झरना फूटने को तैयार है, मगर एक चट्टान पड़ी है। और झरना नहीं फूट पाता और चट्टान को नहीं तोड़...
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आत्मज्ञान ही मोक्ष है

मैं तुम्हें देखता हूं : तुम्हारे पार जो है, उसे भी देखता हूं।शरीर पर जो रुक जाएं वे आंखें देखती ही नहीं हैं। शरीर कितना पारदर्शी है! सच ही, देह कितनी ही ठोस क्यों न हो, उसे तो नहीं ही छिपा पाती है, जो कि पीछे है। पर, आंखें ही न हों, तो दूसरी बात है। फिर तो सूरज भी नहीं है। सब खेल आंखों का है। विचार और तर्क से कोई प्रकाश को नहीं जानता है। वास्तविक आंख की पूर्ति किसी अन्य साधन से नहीं हो सकती है।...
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